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Published 29-04-2024

बिना किसी दुष्प्रभाव के आयुर्वेद से वजन कम करने के उपाय

OBESITY

बिना किसी दुष्प्रभाव के आयुर्वेद से वजन कम करने के उपाय

Dr. Shivani Nautiyal

Dr. Shivani Nautiyal is a renowned Ayurvedic physician, Panchakarma therapies specialist, and detox expert who has made significant contributions to the field of natural holistic healing and wellness. With her profound knowledge, expertise, and compassionate approach, she has transformed the lives of countless individuals seeking holistic health solutions. She is a Panchakarma expert, which are ancient detoxification and rejuvenation techniques. She believes in the power of Ayurveda to restore balance and harmony to the body, mind, and spirit.

मोटापा एक मेडिकल कंडीशन है जिसमे  शरीर पर वसा या फैट के अत्यधिक संचय के रूप में परिभाषित किया गया है , जो कि व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए जोखिम हो सकता है। शरीर पर वजन की मात्रा को वर्गीकृत करने का सबसे आम तरीका, और एक स्वस्थ संतुलन के रूप में क्या होता है, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) है , जिसकी गणना आपके वजन को किलोग्राम में , आपकी ऊंचाई , के वर्ग (square) से विभाजित (Divide ) करके की जाती है। एनएचएस मोटापे को 30 से 39.9 के बॉडी मास इंडेक्स के रूप में वर्गीकृत करता है, 40 से अधिक उम्र वालों को गंभीर रूप से मोटापे के रूप में वर्गीकृत किया जाता है , हालांकि यह जरूरी नहीं है क्योंकि बड़ी मात्रा में मांसपेशियों वाले लोगों को उनके वजन के कारण मोटापे के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। जबकि यह वास्तव में सटीक नहीं हो सकता है। अतिरिक्त वसा को मापने का एक अन्य तरीका कमर को मापना है, पुरुषों के लिए मोटापा आमतौर पर 94 सेमी (37 इंच) से बड़ा माना जाता है , और महिलाओं के लिए 80 सेमी (31.5 इंच) से बड़ा माना जाता है।

मोटेपे के कारण

1. गलत आहार और व्यायाम की कमी: अधिक कैलोरी वाला भोजन खाना, जैसे कि फास्ट फूड, मिठाईयां, और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, मोटापे का एक मुख्य कारण है। व्यायाम की कमी भी मोटे तौर पर हो सकती है।

2. आनुवंशिकी (Genetics):  पारिवारिक प्रवृत्ति यानी कि आदत के अनुवांशिक कारक भी मोटे हो सकते हैं।

3. हार्मोनल असंतुलन: हार्मोनल असंतुलन, जैसे कि पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) या थायरॉयड विकार, मोटापे का कारण बन सकता है।

4. मेडिकल कंडीशन: कुछ मेडिकल कंडीशन, जैसे कि कुशिंग सिंड्रोम, प्रेडर-विली सिंड्रोम, और हार्मोनल थेरेपी, भी मोटे तौर पर प्रभाव डाल सकते हैं।

5. तनाव और मानसिक दबाव: तनाव और मानसिक परेशानियां भी मोटापे का कारण बन सकती हैं, क्यों कुछ लोग तनाव के समय अधिक खाते हैं। 

ये भी पढ़े : मोटेपे की समस्या के सफल आयुर्वेदिक और घरेलु नुस्खे

मोटापे के लक्षण

1. वजन बढ़ाना: वजन का बिना किसी वजह के या अनियामित तौर पर वजन बढ़ाना का एक मुख्य लक्षण है।

2. चर्बी : चरबी का बढ़ना, ज्यादा पेट, कमर, और हिप्स के आस-पास, मोटापे का लक्षण है।

3. हृदय रोग: मोटे के साथ हृदय रोग का खतरा भी बढ़ जाता है। इसमें हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक शामिल है।

4. मधुमेह: मोटापे के साथ मधुमेह का खतरा भी बढ़ जाता है। Jyadatar vaktiyo mein टाइप 2 डायबिटीज का खतरा मोटापे के साथ अधिक होता है।

5. जोड़ों में दर्द: अधिक वजन के कारण जोड़ों में दर्द और गठिया का खतरा भी बढ़ जाता है।

6. दिल की धड़कन : अधिक वज़न के कारण दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है, जिसके दिल की तस्वीरें हो सकती हैं।

7. तनाव और डिप्रेशन: मोटापे के कारण व्यक्ति तनाव में आने लगता है और डिप्रेशन का खतरा भी बढ़ जाता है।  

वजन कम करने के आयुर्वेदिक तरीके

1. त्रिफला: त्रिफला, जैसे आमलकी, बिभीतकी, और हरीतकी से बनाया जाता है, पेट साफ करने और वजन घटाने में मदद करता है। इसका नियम इस्तमाल पाचन को सुधारने में मदद करता है।

2. गुग्गुल: गुग्गुल का इस्तमाल मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और वजन घटाने में किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गन होते हैं जो शरीर के वासा को काम करने में मदद करते हैं।

3. गार्सिनिया कैम्बोजिया: इसमें हाइड्रोक्सीसिट्रिक एसिड होता है जो वजन घटाने में सहायक होता है। ये आपके भोजन की भूख को कम कर सकता है और वसा को रोकने में मदद करता है।

4. त्रिकटु चूर्ण: त्रिकटु चूर्ण, सोंठ, काली मिर्च, और पिप्पली से बना होता है। ये आपके मेटाबोलिज्म को तेज़ करके वजन घटाने में मदद करता है।

5. शिलाजीत: शिलाजीत के सेवन से मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन घटाने में सहायक होता है। ये आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और सहनशक्ति बढ़ाता है।

6. एलोवेरा जूस: एलोवेरा जूस का सेवन डिटॉक्सिफिकेशन और पाचन को सुधारने में मदद करता है। इससे वजन घटाने में भी मदद मिलती है।

बिना किसी साइड इफेक्ट के वजन कम करने के लिए आयुर्वेदिक तरीके बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, और ये सामान्य रूप से प्राकृतिक तौर पर शरीर को सही दिशा में ले जाते हैं।

ये है कुछ आयुर्वेदिक तरीके और उनके फायदे

1. आहार नियमन: अपने आहार में फल, सब्जी, हल्का दूध, दही, अनाज, और हरी पत्तेदार सब्जी शामिल करें। प्राकृतिक पोषक तत्व से भरपूर भोजन आपको संतुलित रखता है और वजन घटाने में मदद करता है।

2. दिनाचार्य: दिनाचार्य, यानी दिन के नियमों का पालन, व्यायाम और स्वस्थ दिनचर पर ध्यान देने में मदद करता है। योग, प्राणायाम और नियमबद्ध व्यायाम भी वजन घटाने में सहायक हो सकते हैं।

3. विशेष औषधियाँ: जैसे कि त्रिफला चूर्ण, गुग्गुल, शिलाजीत, और अर्जुन की चाय के चूर्ण वजन घटाने में सहायक हो सकते हैं। इनका नियम सेवन आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और वजन घटाने में मदद करता है।

4. जल और डिटॉक्स : दिन भर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पिए और अपने शरीर को शुद्ध रखें। पानी शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है और वजन घटाने में सहायक होता है।

5. तनाव : स्ट्रेस वजन बढ़ने का मुख्य कारन होता है | योग, ध्यान और प्राणायाम करके तनाव कम करें वजन घटाने में मदद मिलती है।

6. निद्रा : अच्छी नींद लेना शरीर को संतुलित रखता है और वजन घटाने में सहायक होता है। दिन में कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है।

ये भी पढ़े : मोरिंगा "सहजन का पाउडर" या "मोरिंगा पाउडर" के विटामिन B12 की कमी में क्या क्या फायदे हैं ?

निष्कर्ष

सरल शब्दों में, वज़न कम करने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ एक प्राकृतिक और सुरक्षित विकल्प प्रस्तुत करते हैं। गार्सिनिया कैम्बोजिया, त्रिफला, गुग्गुल, शिलाजीत, अर्जुन, और वृक्षमाला जैसी प्रमुख जड़ी-बूटियाँ वजन घटाने में मदद करते हैं और अधिक दुष्प्रभाव से मुक्त होते हैं। जड़ी-बूटियों का नियम इस्तमाल करके, व्यक्ति अपने वजन को प्राकृतिक तौर पर नियंत्रित कर सकता है। लेकिन हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए किसी को भी नई जड़ी-बूटी का इस्तेमाल शुरू करने से पहले एक चिकित्सक या आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श लेना चाहिए। आयुर्वेदिक तारिक अपने स्वास्थ्य और वजन को नियत्रित करने में सहायक हो सकते हैं, लेकिन व्यक्तिगत परिस्थितयों और शरीरिक चिकित्सकों को ध्यान में रखते हुए ही किसी भी उपाय को करना चाहिए। आज ही विजिट करे HEALTHYBAZAR पर |

Last Updated: May 9, 2024

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